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जहां हुआ है मेरा जन्म – JAHAAN HUWA HAI MERA JANM
प्रातः जहां के वृक्षो को
रवि की किरणें करती है नमन
परिंदे जहां के चूमते है गगन
शशि भी तटिनी के छुए चरण..!
शांति की बयार करती है गमन
आनंद, सुकून ओर हर्ष का
है ये चमन
जहां हुआ है मेरा जनम..!
तरु जहां की सुंदरता है
सरिता जहां की जीवन है
मैं वहां की तनया हुँ
सरोज जहां की शोभा है..!
जहां का दिन सुनहरा
रात जहां की रंगीली
कलियों में गाऐ भवरे
जहां की कुसुम बड़ी शर्मीली
सुबह कंचनी शाम छबीली
जहां की छठा नित नवेली
कण कण जहां का है पहेली..!
सुंदर वन जहां समाये
जहां की वृक्षो में कोकिल गाए
पशु पक्षी ओर मानव
लेते है यहां शरण
जहां हुआ है मेरा जनम..!
यहां लोगो के हृदय कोमल
वाणी जहां की विनम्र है
प्रकृति यहां की निर्मल है
किसी को किसी से नही जलन
जहां हुआ है मेरा जनम..!
पलास के फूल : PLASH KE PHUL
जब पलास के फूल खिलते
सबके मन मे उत्साह भरते
जब पलास के फूल खिले
सबको खुशी और आनंद मिले..!
जिधर भी मैने नजर उठाई
रक्त के धार दिए दिखाई
लाल लाल चारो ओर
सुबह शाम या हो भोर
नाचे मैना नाचे मोर
खुशियां छा गयी चारो ओर..!
वृक्ष की डाली फूलो से लदी
लाल गहनों से है ढकी
पेड को इतना सुंदर सवारे
आंखे मेरी पल पल निहारे
तितली भवरे ओर मधुमख्खिया
आके बन गयी फूलो की सखिया..!
रस लेकर अपने भंडार भरते
जब पलास के फूल खिलते
पलास के फूल जब आते है
साथ मे होली लाते है..!
बच्चे झूमकर बड़े गाकर
एक एक को रंग लगाकर
मिलके त्योहार मनाते है।
चारो ओर रंगीन नजारा
किसने फूलो को इतना सवारा
सबको शांति और सुकून देते
जब पलास के फूल खिलते..!
प्रकृति का नाश किया
दुनिया की बढ़ती तकनीकी ने
इस बढ़ती हुई आधुनिकरण ने
कारखानों से निकलती विषैले
जल और वायु ने प्रकृति का नाश किया …
बढ़ती हुई ओद्योगिकरण ने
पेड़ काट कर लकड़ी पाया
खटिया पलंग तख्ता बनाया, पाव पसार सोने को …
स्वच्छ जल को दूषित बनाया ,धन संपत्ति पाने को …
जंगल काट कर, ऊंचा मकान बनाया
धनी पुरुष कहलाने को
दुनिया की बढती आलस ने, प्रकृति का नाश किया
मानव की बढ़ती लालच ने
विकास बहुत किया मनुष्य ने
प्रगति बहुत की दुनिया ने
परंतु विनाश भी बहुत किया
प्रकृति का संस्कृति का
इस बढ़ते हुए औधोगिकरण ने
माँ सी थी प्रकृति हमारी
माँ संतान के संबंध को तोड़ा
मानव की इस आधुनिकरण ने
प्रकृति का विनाश किया
इस बढ़ते हुए आधुनिकरण ने।